सपने सभी देखते हैं ,आम भी और खास भी |कुछ खुली आँखों से सपने देखते हैं और कुछ बंद आँखों से |सपनों की अपनी दुनियां है ,सजीली और नयनाभिराम |महात्मा गाँधी ने भी एक सपना देखा था |एक ऐसे आत्मनिर्भर और शोषणमुक्त भारत का सपना ,जिसमें समाज के निचले पायदान पर खड़े अंतिम व्यक्ति को भी समान महत्व मिलेगा |जिसमें सामाजिक न्याय की प्रतिष्ठा होगी |लेकिन जो हश्र गाँधी का हुआ ,वही उनके सपने के साथ हुआ |उनका गुणानुवाद करने वाले लोगों ने ही उनके सपने की हत्या कर दी |
आम आदमी भी सपने देखते हैं लेकिन उनके सपने उन्हीं की तरह आम होते हैं | वह सिर पर एक छत ,दो वक्त की रोटी की आसान जुगाड़ ,बूढी माँ का इलाज ,एक पुरानी या नई बाईसकिल खरीदने जैसे सपने देखता है |जब उनके ये सपने फलित होते हैं तो वे अपना जीवन सफल और धन्य मानते हैं और सपनों के तार-तार होने पर मानो उनकी जिंदगी बिखर जाती है |
खास लोगों के सपने खास होते हैं |देश में और विदेश में औद्योगिक साम्राज्य खड़ा करना ,धनकुबेर बनकर विलासिता का जीवन जीना ,किसी कमाऊ क्षेत्र में अपनी नियुक्ति का जुगाड़ ,राजनीतिक क्षत्रप बनकर राज्य सत्ता का निर्बाध सुख भोग -जैसे खास सपने उनकी आँखों में सजते हैं ,जिन्हें वे खुली आँखों से देखते हैं और उन्हें अपने जीवन में फलित करने के लिए प्राणपण से जुट जाते हैं |
आम लोग अक्सर बंद आँखों से सपने देखते हैं जबकि खास लोग खुली आँखों से सपने देखते हैं |सपने जब करवटें बदलते हैं या बिखरते हैं तो जीना मुश्किल हो जाता है |सपनो के बिखरने का दर्द तोड़कर रख देता है |सपने हमारे जीवन में एक आश्वासन की तरह होते हैं जो भले ही झूठे हों लेकिन हमें बहुत संबल देते हैं |कुछ सपने सार्वजनिक जीवन में हलचल मचा देते हैं |इन्हीं में से एक सपना मोदी का है तो दूसरा शोभन सरकार का |इन दिनों सार्वजनिक प्रचार माध्यमों में इन सपनों को जरुरत से ज्यादा स्पेस मिल रहा है |डोंडीया खेड़ा में राजा राव रामबख्स सिंह के खजाने की बात उस इलाके के सभी बुजुर्ग लोगों को पता है |अभिलेखों में भी इस तथ्य का उल्लेख है |अंग्रेज अफसरों ने खजाने का पता लगाने के लिए राजा राव रामबख्स सिंह को कठोर यातनाएं देकर मार डाला लेकिन खजाने का पता हासिल नहीं कर सके |अनुमान है कि खजाना किले में ही कहीं दबा पड़ा है लेकिन उसके वास्तविक स्थान का पता न तो शोभन सरकार को है और न पुराविदों को |सर्वेक्षण के दौरान कोई धातु भूगर्भ में दबी होने के संकेत मिलने पर उन्होंने कुछ स्थलों को चिन्हित किया है ,जहाँ खुदाई जारी है |शोभन सरकार के सुनहले सपने पर दूसरे स्वप्नद्रष्टा मोदी जी ने सवाल उठाया और उसका मजाक उड़ाया |लेकिन जब उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि शोभन सरकार के लाखों की संख्या में भक्त हैं और उनके सपने की सार्वजनिक तौर पर खिल्ली उड़ाने पर कहीं उनका सपना न बिखर जाये तो उन्होंने इस बात की गंभीरता को समझा और अपना दूत भेजकर उनसे क्षमा याचना की |
सपने लोगों को गुमराह भी करते हैं जैसाकि हम देख रहे हैं लेकिन ये तो खास लोगों की बात हुई |आम लोग कब खुली आँखों से सपने देखना शुरू करेंगे ??
आम आदमी भी सपने देखते हैं लेकिन उनके सपने उन्हीं की तरह आम होते हैं | वह सिर पर एक छत ,दो वक्त की रोटी की आसान जुगाड़ ,बूढी माँ का इलाज ,एक पुरानी या नई बाईसकिल खरीदने जैसे सपने देखता है |जब उनके ये सपने फलित होते हैं तो वे अपना जीवन सफल और धन्य मानते हैं और सपनों के तार-तार होने पर मानो उनकी जिंदगी बिखर जाती है |
खास लोगों के सपने खास होते हैं |देश में और विदेश में औद्योगिक साम्राज्य खड़ा करना ,धनकुबेर बनकर विलासिता का जीवन जीना ,किसी कमाऊ क्षेत्र में अपनी नियुक्ति का जुगाड़ ,राजनीतिक क्षत्रप बनकर राज्य सत्ता का निर्बाध सुख भोग -जैसे खास सपने उनकी आँखों में सजते हैं ,जिन्हें वे खुली आँखों से देखते हैं और उन्हें अपने जीवन में फलित करने के लिए प्राणपण से जुट जाते हैं |
आम लोग अक्सर बंद आँखों से सपने देखते हैं जबकि खास लोग खुली आँखों से सपने देखते हैं |सपने जब करवटें बदलते हैं या बिखरते हैं तो जीना मुश्किल हो जाता है |सपनो के बिखरने का दर्द तोड़कर रख देता है |सपने हमारे जीवन में एक आश्वासन की तरह होते हैं जो भले ही झूठे हों लेकिन हमें बहुत संबल देते हैं |कुछ सपने सार्वजनिक जीवन में हलचल मचा देते हैं |इन्हीं में से एक सपना मोदी का है तो दूसरा शोभन सरकार का |इन दिनों सार्वजनिक प्रचार माध्यमों में इन सपनों को जरुरत से ज्यादा स्पेस मिल रहा है |डोंडीया खेड़ा में राजा राव रामबख्स सिंह के खजाने की बात उस इलाके के सभी बुजुर्ग लोगों को पता है |अभिलेखों में भी इस तथ्य का उल्लेख है |अंग्रेज अफसरों ने खजाने का पता लगाने के लिए राजा राव रामबख्स सिंह को कठोर यातनाएं देकर मार डाला लेकिन खजाने का पता हासिल नहीं कर सके |अनुमान है कि खजाना किले में ही कहीं दबा पड़ा है लेकिन उसके वास्तविक स्थान का पता न तो शोभन सरकार को है और न पुराविदों को |सर्वेक्षण के दौरान कोई धातु भूगर्भ में दबी होने के संकेत मिलने पर उन्होंने कुछ स्थलों को चिन्हित किया है ,जहाँ खुदाई जारी है |शोभन सरकार के सुनहले सपने पर दूसरे स्वप्नद्रष्टा मोदी जी ने सवाल उठाया और उसका मजाक उड़ाया |लेकिन जब उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि शोभन सरकार के लाखों की संख्या में भक्त हैं और उनके सपने की सार्वजनिक तौर पर खिल्ली उड़ाने पर कहीं उनका सपना न बिखर जाये तो उन्होंने इस बात की गंभीरता को समझा और अपना दूत भेजकर उनसे क्षमा याचना की |
सपने लोगों को गुमराह भी करते हैं जैसाकि हम देख रहे हैं लेकिन ये तो खास लोगों की बात हुई |आम लोग कब खुली आँखों से सपने देखना शुरू करेंगे ??
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