चालीस-आठ लाशों के ऊँचे ढेर पर |
कुछ तो बोलो ,इस प्रायोजित अंधेर पर ||
भाजपा, सपा, बसपा सारे हैं मौन |
है धुला दूध का बोलो इनमें कौन ||
सेंके सबने इस दावानल में हाथ |
है दिया आततायी लोगों का साथ ||
सबने मिल रौंदी भाईचारे की छाती |
कर डाली तहस-नहस गंगा-जमुनी थाती ||
इन घड़ियाली आंसूओं का अब क्या मानी|
पहले की आगजनी ,फिर डाल रहे पानी ||
लोगों का नेताओं पर नहीं भरोसा है |
सब ने दंगों के लिए इन्हीं को कोसा है ||
ये क्या पीड़ित लोगों को न्याय दिलाएंगे |
आधी सहायता तो ये ही खा जायेंगे ||
श्रीश राकेश जैन |
कुछ तो बोलो ,इस प्रायोजित अंधेर पर ||
भाजपा, सपा, बसपा सारे हैं मौन |
है धुला दूध का बोलो इनमें कौन ||
सेंके सबने इस दावानल में हाथ |
है दिया आततायी लोगों का साथ ||
सबने मिल रौंदी भाईचारे की छाती |
कर डाली तहस-नहस गंगा-जमुनी थाती ||
इन घड़ियाली आंसूओं का अब क्या मानी|
पहले की आगजनी ,फिर डाल रहे पानी ||
लोगों का नेताओं पर नहीं भरोसा है |
सब ने दंगों के लिए इन्हीं को कोसा है ||
ये क्या पीड़ित लोगों को न्याय दिलाएंगे |
आधी सहायता तो ये ही खा जायेंगे ||
श्रीश राकेश जैन |
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