बीन बजी ,फिर खुला पिटारा
देखें,किसके हैं पौ -बारह /
किसने खायी दूध-मलाई
दिन दूनी और रात चौगुनी ,
किसने करी कमाई भाई /
किसने पहनी हैं मालाएं नोटों की ,
किसके चर्चे हैं
किसने स्टेचू बनवाकर ,
जनता के पैसे खर्चे हैं /
भरमा रहा कौन जनता को ,
कौन कर रहा झूठे वादे
आस्तीन में सांप छिपाए
किसके हैं खूंख्वार इरादे /
कौन मजहवी जहर घोल कर
चाहे उल्लू सीधा करना ,
महज चुनावी वैतरणी को
चाहे इनसे पार उतरना /
कौन देश का हितचिन्तक है
हर दल ,प्रत्याशी को तौलें ,
कौन तुम्हारा दुःखभंजक है
एक-एक कर सभी टटोलें /
आखिर कुछ मुद्दों का तो हो ,
उचित तरीके से निपटारा
बीन बजी,फिर खुला पिटारा /
देखें किसके हैं पौ-बारह//
श्रीश राकेश
थे दुखभंजक बनकर आए,जिनका खुला पिटारा
जवाब देंहटाएंमुद्दे वही-वही जनता के,बजे हैं मुख पे बारह!
सुन्दर रचना
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